मंगलवार, नवंबर 14, 2006

बचपन का अधिकार


वंचित जो बाल सुलभ जीवन से,
शैशव का सुन्दर सौगात उन्हें दो!
उपेक्षित/कुण्ठित बालपन जिनका,
बचपन का अधिकार उन्हें दो।

विवश हुए जो श्रमिक कर्म को,
विकल्पहीन जठराग्नि के वश,
बनो उदार उनके प्रति तुम
उत्पीड़कता से उद्धार उन्हें दो।
बचपन का अधिकार उन्हें दो !

बिछुड़ गए जो निज आश्रम से,
विलुप्त हो रही पहचान जिनकी
वात्सल्य भरो तुम उन बच्चों में,
उनसे बिछुड़ा परिवार उन्हें दो।
बचपन का अधिकार उन्हें दो !

शोषित-पीड़ित है जो बच्चे,
सुरक्षित,उन्मुक्त आकाश उन्हें दो।
विमुख हुए जो सहज स्नेह से,
मातु-पिता का प्यार उन्हें दो।
बचपन का अधिकार उन्हें दो !

सब बच्चों में समता देखो,
दो सबको औसर विकास का।
वंचित न रहें वे ज्ञान-पुँज से,
शिक्षा का अधिकार उन्हें दो।
बचपन का अधिकार उन्हें दो !

स्वस्थ्य रहें, उन्मुक्त जिएँ,
विकसित होवें पूर्ण बनें।
हैं भविष्य के संवाहक वे,
स्नेह भरा व्यवहार उन्हें दो।
बचपन का अधिकार उन्हें दो !

संपोषित हो प्रतिभा हर शिशु का,
दायित्व यह हम वयस्क जन का,
दो उनको वह सब जिनसे,
हो मानवता साकार, उन्हें दो।
बचपन का अधिकार उन्हें दो !

1 टिप्पणी:

renu ahuja ने कहा…

संचित कर बाल-धन को ही,देश तरक्की कर पाए
एक सफ़ल राष्ट्र है सदा वही, जो भावी पीढी़ समृद्ध बनाए!
कलानाथ जी आपके भावी पीढ़ी के प्रति जो विचार है, नि:संदेह सम्माननीय है, इसी प्रकार अपनी लेखनी से साहित्य और समाज को समृद्ध करते रहें-शुभांकांक्षी-श्रीमति रेणू आहूजा.